ब्रह्मराक्षस और चांडाल
चांडाल एक ऐसी जाति है ,जिसे समाज में नीचा दर्जा हासिल है,लेकिन ये भी कहने में गुरेज नहीं की ये समाज का अहम हिस्सा है।
चांडाल , श्मशान में शव जलाते,सफाई करते मिलते हैं।
प्राचीन समय में ब्राह्मणों के रास्ते में अगर ये पड़ जाते तो पूरे रास्ते को गंगाजल से धोया जाता था,और उसे बहुत बुरी तरह प्रताड़ित किया जाता था।
रामकृष्ण परमहंस एक ऐसे संत जो देव तुल्य थे उन्होंने हर मनुष्य में भगवान देखा।
उनका मानना था दरिद्रनारायण की सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं उनहोने वर्ग विभेद का विरोध किया।
वो मुंह अंधेरे उठ चांडालों की बस्ती में चले जाते और वहां रास्तों की पूरी सफाई करते । उनका साफ संदेश था कि बिना उनके समाज की कल्पना नहीं कर सकते।
एक समय की बात है चांडलों की बस्ती में एक व्यक्ति दुखहरण था वह बहुत पुजारी था ,बिना ईश्वर को भोग लगाए ,स्वयं भोजन भी ग्रहण नहीं करता था।हर त्योहार वह रात्रि जागरण ,भजन कीर्तन करता था ,चूंकि मंदिरों में उनका प्रवेश वर्जित था , और छोटे से घर में रहना ही मुश्किल था तो एक पेड़ के नीचे भगवान शिव को स्थापित कर वहीं पूजा किया करता। लोग उसे कहते कि इसने गलती से यहां जन्म लिया है ,इसे तो किसी ब्राह्मण के घर जन्म लेना चाहिए।
उसी पेड़ पर एक ब्रह्मराक्षस रहता था।वह सुशिक्षित,वेदपाठी ब्राह्मण सुकेश था ,लेकिन अभिमानी होने के कारण उसने कुछ गलतियों की।
जिससे उसे राजा के द्वारा असमय मौत दे दी गई और वह ब्रह्मराक्षस बन गया ।
वह रोजाना उस चांडाल दुखहरण को पूजा करते देखता ,एक दिन अचानक वह उसके सामने आकर प्रकट हो गया।
दैत्याकार शरीर में एक व्यक्ति जिसके सर पर एक भी बाल नहीं था,सिवाय शिखा की।शरीर पर कपड़े के नाम पर एक जनेऊ और लंगोटी थी।
चांडाल उसे देख डर गया,डर से उसकी आवाज नहीं निकल रही थी ,लेकिन वह ईश्वर का पुजारी था ,थोड़ी देर बाद उसका डर काफूर हो गया ,उसने साहस करके पूछा कौन हो आप ,क्या चाहिए इस तरह मेरे पास क्यों आए हैं?
इस बात पर आंखें तरेरता ब्रह्मराक्षस हंस पड़ा,7से कहा तुम्हे डर नहीं लगा मुझे देखकर।
नहीं ....._उस व्यक्ति ने कहा।
पर मैं तुम्हें मारने आया हूं, मैं तुम्हे खा जाऊंगा।
ठीक है ,आप मुझे मार डालो,यदि प्रभु की यही इच्छा है कि मैं आपके हाथों से मारा जाऊं तो यही सही।
चांडाल ने आंखें बंद कर ली।
ब्रह्मराक्षस आगे बढ़ा ,लेकिन एक सुरक्षा चक्र जिसे औरा कहते हैं ,परंतु ये क्या वह उसे छू भी नहीं पाया,और वापस लौट गया।
दुखहरण काफी देर तक आंखें बंद किए ईश्वर का ध्यान करता रहा लेकिन जब उसे कुछ भी नहीं हुआ तो उसने आंखें खोली।
ये क्या?वह व्यक्ति तो गायब हो गया। उसके बाद वह घर वापस लौट आया।
अगले दिन शिवरात्रि थी ,दुखहरण ने शिव जी के शिवलिंग पर बेलपत्र,दूध, मदार चढ़ाया और उपवास कर रात्रि जागरण किया। उस दिन वह ब्रह्मराक्षस भी पूजा में आया ,और उससे कहने लगा ,_क्या तुम मेरी मदद करोगे ? ताकि मैं मुक्त हो सकूं ।
दुखहरण उसे देखकर फिर हड़बड़ाया ।
पर मैं कैसे तुम्हारा विश्वास करूं,तुमने तो कितनों को मार डाला है।
तुम्हारी भक्ति को देख मैं बहुत प्रसन्न हूं और मुझे विश्वास है कि तुम्हारी मदद से मुझे मुक्ति मिल सकती है । बोलो तुम मेरी मदद करोगे?_ब्रह्मराक्षस ने फिर से कहा।
मुझे क्या करना है?_चांडाल का सवाल था।
बस तुम मुझे अपने शरीर में प्रवेश करने दो।
फिर मैं अपने घर जाकर अथर्वेद की किताब जो मेरे घर में रखी है उसमें एक श्लोक है ,जिसके सही उच्चारण से मैं इस योनि से मुक्त हो जाऊंगा।
,"लेकिन मैं ब्राह्मणों की बस्ती में नहीं जा सकता ,अगर उन लोगों ने मुझे पहचान लिया तो फिर वो मेरे परिवार और मुझे बहुत प्रताड़ित करेंगे।"_दुखहरण ने कहा।
तुम एक बार मुझे अपने शरीर में प्रवेश करने दो ,फिर देखना सब ठीक हो जाएगा_ब्रह्मराक्षस गिड़गिड़ाया।
लेकिन.....अगर तुम मेरे शरीर पर कब्जा कर,वापस अपने लोक नहीं गए तो ?_शंका से चांडाल ने पूछा।
नहीं मित्र ,तुम जैसे ईश्वर भक्त को मेरा ये गंदा शरीर बर्दाश्त नहीं कर पाएगा , मैं अब भौतिक तृष्णा से मुक्ति पाना चाहता हूं इसलिए मेरे लिए तुम्हारा शरीर सिर्फ माध्यम होगा।
चांडाल ,ब्रह्मराक्षस की बातों से आश्वस्त हो अपने शरीर में उसे प्रवेश करने की इजाजत दे देता है।
अभी अंधेरा ही था ,थोड़ी देर बाद चांडाल ,ब्राह्मण की बस्ती में घुसता
है, अंधकार होने के कारण इक्का दुक्का लोग ही उठ कर नदी की ओर स्नान करने जा रहे थे ।जगह जगह शिवरात्रि का आयोजन था ,इसलिए ब्रह्मराक्षस सुकेश के घर में भी कोई नहीं था सब पास वाले मंदिर में गए थे।
पूजा वाले घर से बाहर ही ब्रह्मराक्षस उसके शरीर से अलग हो गया ,वह पूजा घर में घुस नहीं पा रहा था।उसने बाहर से ही अथर्वेद की किताब की ओर इशारा किया ,चांडाल ने किताब उठाई और बाहर निकल आया।
फिर दोनों पेड़ के पास पहुंचे ।ब्रह्मराक्षस ने कुछ मंत्रों का उच्चारण किया ,चांडाल ने उसके उपर,बेलपत्र से पानी छिड़का ,और देखते देखते एक धुआं उठा,और बहुत तेजी से आसमान की ओर उड़ गया।
ब्रह्मराक्षस को चांडाल की मदद से प्रेत योनि से मुक्ति मिली।
समाप्त
Seema Priyadarshini sahay
29-May-2022 11:23 PM
बेहतरीन कहानी
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Abhinav ji
29-May-2022 08:10 AM
Nice👍
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Sangeeta singh
29-May-2022 09:05 AM
🙏
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Gunjan Kamal
28-May-2022 08:25 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻
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Sangeeta singh
29-May-2022 09:06 AM
धन्यवाद
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